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अजायब-घर / पूजानन्द नेमा
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मानव-अधिकार के संरक्षण के वास्ते
जिस दिन
राष्ट्र-संघ का पादक 
महिला-मुक्ति के अग्रदूत को मिला
उस दिन 
एक अहंमन्य ने 
चौराहे पर
एक अबला को 
खुले-आम लताड़ दिया ।
थाने में रपट लिखाने की बात पर 
पशु-रक्षा-समिति का
अध्यक्षीय भाषण देने जाने की हड़बड़ी में दारोगा बोला –
"मुकदमा दायर नहीं हो सकता
क्योंकि खून नहीं बहा है ।
शायद कानून खून से जीता है
अथवा 
ऐसा कानून अभी बना नहीं
जिस के पेट में भूसा न हो ।
 
	
	

