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बंसत / नीरज दइया
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जीवन में हमारे
आता है प्रेम बसंत की तरह
और प्रेम ही लाता है- बसंत।
वर्ष में कुछ खास दिन होते हैं-
जब होता है प्रेम।
उदासी को दूर करता
प्रेम उदित होता है
सूर्य की भांति
और जगमगाता है जीवन।
करते नहीं प्रतीक्षा
फिर भी लौट-लौट आता है
जीवन में पुन: पुन: प्रेम
तभी लौटता है
बार-बार बसंत!
हर बार बसंत!!