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ट्रेनिंग / प्रताप सहगल
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रात के गहरे सन्नाटे में
ट्यूब लाइट की बजबजाती
नाक
और मुझे नींद आ रही है।
यही है महानगर की ट्रेनिंग
शोर कितना ही आए
किसी कोने से
जाओ और
दुबक जाओ
बिस्तर में।
पत्नी हो या प्रेमिका
बिल्ली हो
या पिल्ला
ज़रूरी नहीं है
इनका फर्क करना
ज़रूरी है नींद
जाओ/और/लेट जाओ
बिना सोचे
कि करवट लेने के बाद
कौन-सी
दुनिया खुलेगी
हाथों में।
1984