भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
वो झुरै / अर्जुनदेव चारण
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:13, 15 अक्टूबर 2013 का अवतरण
काळजौ ठारण
थारौ
वो झुरै
मिनख उणनै ओळखै
कैवै मेह
बाबल यूं इज
बरसाया करै
आपरौ नेह