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सिंझ्या / भंवर भादाणी
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आथूण तिसळतो
सूरज
आभै रै तिप्पड़ सूं
दब्या पगां उतरतो,
सातूं रंगा न्हायो-धोयो,
बादळी री इरंडी ओढ़यां
होळे-सी‘क
मनोमन मापै
अर
जोखै
सझांवती आंख रै आर-पार
फैल्योड़ी
सुपनां भरी रेत री
..ऊंड।