भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

म्हारो सुपनो / भंवर भादाणी

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:36, 16 अक्टूबर 2013 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

च्यारूंमेर
धंवर री धुंध
किटकिटाता दांत
थरथरता डील
कदै कदास
रमतिया करतो-सो
तावड़ो
म्हारो सुपनो-सो।