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म्हारी पीड़ / भंवर भादाणी

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म्हूं जद भी
तड़पूं-कूरळावूं
पीड़ सूं,
म्हारी कुरळाटां
सुणीजै-पाछी
पड़ौस सूं।
खाली पड़ौस सूं ई नीं
घणी दूर सूं-
जठै जठै रैवे आदमी।
धरती रै
इण छोर सूं
उण छोर तांई
आखै संसार सूं
टकरा‘र सुणीजै
पाछी-म्हारी पीड़।