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अवस्था / नीरजा हेमेन्द्र
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क्या यह वही पुष्प है?
जिसमें कभी रंगत थी, खुशबू थी, बहार थी।
क्या यह वही पुष्प है ?
जिसने कभी
उद्यानों को अलंकृत करने में
अपना सर्वस्व खो दिया
और अब जब माली ने उठा कर
निष्ठुरता पूर्वक
सड़क पर फेंका तो
मैंने उठा कर उसे दो बूँद आँसू दे दिया
इसके अतिरिक्त मेरे पास था ही क्या ?
फूल को किनारे रख
मैं चल पड़ी।