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याद / नीरजा हेमेन्द्र
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शाखों से एक चिड़िया उड़ी
दिल सहला गई
पत्तों में कलियां खिलीं
मन बहला गई
याद आयी एक सुहानी शाम
छा गई आँखों में
घुल गई साँसों में
फिर होठों पर आ कर
गीत कोई गा गई
फूल उड़ते रहे, शबनम बरसती रही
बर्फ के आइने संग बिम्ब सरकती रही
साथ हो तुम भी परछाँई बता गई
कितनी भी दूर उड़ जाये मन
सागर को छू कर भी प्यासा ही लौट आये
जल की तरंगे ही
प्यास बुझा गईं।