भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

क्या बताएँ / कुमार रवींद्र

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:34, 23 अक्टूबर 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कुमार रवींद्र |अनुवादक= |संग्रह=र...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

क्या बताएँ
हर तरफ
आकाश होने की खबर है
 
काश, माटी की
खबर भी लोग लेते
नाव अपनी यों हवा में
वे न खेते
 
जरा सोचो
जड़ों से कट जायेंगे हम
यही डर है
 
खबर उनकी नहीं
जो भूखे रहे कल
दिखा उनको नहीं
माँ का फटा आँचल
 
क्या करेंगे
लोग आगे
सुनो, चिंतित ईश्वर है
 
हवा में उड़ना
उन्हें आसान लगता
हर किसी को
हर कोई है रोज़ ठगता
 
दिखा तुमको भी
नहीं क्या
उड़ रहा जो कटा पर है