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रेत (10) / अश्वनी शर्मा
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रेत आंधी बन
छा जाती है आसमान में
किसी अमूर्त्त चित्र
या
मनोवैज्ञानिक पहेली-सी
अर्थ तुम्हारे, भाव तुम्हारे
अनुभव तुम्हारे, छाप तुम्हारी
समझ लो जो जी चाहे
आरोपित कर दो जो जी चाहे।