भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

वंदना/भजन / मानोशी

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:01, 2 जनवरी 2014 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सब के जीवन में कर दो प्रभु
खुशियों की बौछार।
सब का जीवन सुख से भर दो,
सुखमय हो संसार॥

जीवन पथ पर कांटें हों पर,
साथ रहे फूलों का
कठिन राह में ’गर संग तुम हो,
फिर क्या भय शूलों का,

सुख-दुख सब कुछ प्रेम तुम्हारा,
जीवन इक उपहार॥

सह न सकूँ यदि दर्द कभी तो,
संबल बन रहना तुम,
बह निकले ’गर आंसू,
करना मोती का गहना तुम,

अपने दुख में रो न पड़ूँ प्रभु,
करना ये उपकार॥

मंदिर में मैं आया लेकिन
तुम से मिल ना पाया,
सूने मन में झांका जब तो
दिखी तुम्हारी छाया,

भजन बिना है पूजा मेरी,
करना तुम स्वीकार॥