भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पाठ / मन्त्रेश्वर झा

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:50, 24 मार्च 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मन्त्रेश्वर झा |अनुवादक= |संग्रह=...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बेंग जकाँ कुदैत, बिहाड़ि जकाँ दौड़ैत
स्कूल सँ घुरल छल ओ नेना
टहटह इजोरिया जकाँ खिलखिलाइत
सूर्योदय कालक लाल चक्का जकाँ मुस्कुराइत
स्कूल सँ घुरि आयल छल ओ नेना
टीचरजी सँ सिखने छल ओहि दिन एक पाठ
रटने छल, उताहुल छल सुनएबाले ओ पाठ
जे सत्य जीतैत छै हरदम
होइत छै सत्यक विजय
स्कूल सँ अबिते सुना देलक अपन रटल पाठ
मम्मी भेलीह प्रसन्न,
पापा भेलाह गद्गद्
पुछलखिन अपन नेना सँ
‘सत्य माने की होइ छै पिंकू,
की कहलखुन टीचरजी’
नेना रहि गेल अवाक्
जेना हवाला कांड मे पकड़ल
गेल हो कोनो स्वच्छ छवि मन्त्री
डेराइत बाजल नेना
‘अहीं बताउ हमर पापाजी
जे की होइ छै सत्यक माने’
पुछलक नेना
आब अवाक् रहबाक पारी छलनि पापा के
सन्न भऽ गेल रहथि जेना रेप आ हत्याक
आरोप मे पकड़ल गेल गेल हो कोनो ध्यानमग्न साधु
ओ नेता तखन तोड़लक पापाक मौन
सत्य दिस बढ़ओलक अपन साधन डेग
बाजल नेना करैत प्रश्न
‘जेना फुचुर पहलवान
कुश्ती मे बजारलक नेंगरा पहलवान के
आ जीति गेल।
तहिन ने सत्य जीतैत छैक पापा?
आ जहिना चुनाव मे
एहि बेर जीतलै फुलना डकैत
तहिना ने पापा?
पापा उठि गेलाह, भऽ गेलाह कात
मम्मी बजलीह - चल पिंकू
लागल हेतौ भूख
कऽ ले जलखै।
टीचरजो दोसर दिन एहिना
रटओलखिन दोसर पाठ
जे क्रोध करब पाप थिक
रटैत रहि गेल नेना
मुदा नहि रटि सकल पाठ
लखन टीचरजीक मुँह भऽ गेलनि लाल
तड़तड़ चलबय लगलखिन
नेना पर थापड़
कहय लगलखिन किदन कहाँदन
ओ नेना, एहिन
रटैत रहल, बिसरैत रहल पाठ
होइत रहल शिक्षित।