भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
क्रिसमस / मन्त्रेश्वर झा
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:30, 24 मार्च 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मन्त्रेश्वर झा |अनुवादक= |संग्रह=...' के साथ नया पन्ना बनाया)
आइ थिक क्रिसमसक शुभ पर्व
प्रभु यीशूक जन्मोत्सवक
उल्लास, उत्साह
सेवा, दया सुख आ शान्तिक
अबैत जाइत निर्बाध मंगलकामना
लैत तऽ अछि जन्म एक ईश्वर
प्रत्येक शिशुक जन्म पर
करबैत अछि विराटक साक्षात्कार
मुदा परसू चारि सय कि पाँच सय
कि छौ सय कि कतेक ईश्वर
स्वाहा भऽ गेल सिरसा डववाला मे
मचबैत वीभत्स प्रलय, हाहाकार
करबैत चीत्कार, उजाड़ैत घर द्वारि
तीन साल कि चारि साल, पांच साल
कि दस सालक स्कूली छात्र छात्रा।
एखन तऽ छल सभमे महापुरुष
बनबाक बीया, शक्ति आ संकेत
थकुचिके थकुचा के, छँटाके घटाके
की बनैत, पता नहि
मुदा एखन तऽ महापुरुषे
छल सभ क्यो
अकाल काल कवलित भऽ गेल
लऽ गेल घर घरक सुख, शान्ति, समृद्धि
ओह, एहि दर्द केँ कोना काटू
कोना मनाउ क्रिसमस के समारोह!