भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
उदासी / कालीकान्त झा ‘बूच’
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:03, 6 मई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कालीकान्त झा ‘बूच’ |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पन्ना बनाया)
चानक मुख देखु मलान भेल
भऽ गेल आव रक्तभ क्षितिज
दुरदिनभानक अनुमान भेल
मुस्की मे हाड़क संदर्शन,
आनन पर रूपक भ्रम विशेष,
कहवैत रहल जे गालक तिल,
से सॉपक विल वनि रहल शेष,
ऑखिक तीरक विख पानि नोर वनि,
झहड़ल हृदय झमान भेल
बुझलहुँ जकरा हम सुधा कोष,
ओ पानिक फूटल घैल बनल,
कुहरैत अजर के जड़ल देखि,
सभ ज्योति स्वयम् मटमैल वनल,
खसि रहल मनोरथ स्फुतनिक,
लूना अनेर हैरान भेल
ककरा पर रूपसि करी आश
ई कल्पो विटप बबूर भेल,
रोपल अमिसिंचित वर प्रवाल,
बढ़ि जेठक ठुट्ठ खजूर भेल,
जकरा छाया मे छलहुँ आइ ओ -
पुरना चार पलान भेल