भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
द्वारहीन द्वार / अज्ञेय
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:58, 13 मई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अज्ञेय |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poe...' के साथ नया पन्ना बनाया)
द्वार के आगे
और द्वार: यह नहीं कि कुछ अवश्य
है उन के पार-किन्तु हर बार
मिलेगा आलोक, झरेगी रस-धार।