भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जगविश्राम! मंगलधाम! / हनुमानप्रसाद पोद्दार

Kavita Kosh से
Gayatri Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:04, 2 जून 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हनुमानप्रसाद पोद्दार |अनुवादक= |स...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

(राग विहाग)

राम राम राम राम राम राम राम।
राम राम राम राम राम राम राम।
जगविश्राम! मंगलधाम! पूरणकाम! सुन्दर नाम॥
योग-जप-तप-व्रत नियम-यम, यज्ञ-दान अपार।
राम-सम नहिं एक साधन, राम सब आधार॥
सब मिल कहो जय जय रामराम।
राम गुरु, पितु-मातु रामहि, राम सुहृद उदार।
राम स्वामी सखा रामहि, राम प्रिय परिवार॥
सब मिल कहो जय जय रामराम।
राम जीवन, राम तन-मन, राम धन-जन दार।
राम सुत, सुख-साज रामहिं, राम प्राणाधार।
सब मिल कहो जय जय रामराम।
राम राग, बिराग रामहि, राम स्नेहागार।
राम प्रेमद, राम प्रेमिक, प्रेम-पारावार॥
सब मिल कहो जय जय रामराम।
राम बिधि, शिव राम, पालक विष्णु विश्वाधार।
राममय जग, राम जगमय, रामही विस्तार॥
सब मिल कहो जय जय रामराम।