भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
क्षमा / अंजू शर्मा
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:32, 4 जुलाई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अंजू शर्मा |अनुवादक= |संग्रह=कल्प...' के साथ नया पन्ना बनाया)
वह गलत थी,
वह भी गलत था,
वे दोनों गलत थे,
उस अनुचित, निषिद्ध रास्ते पर
चलते चलते,
एक दिन सजा का मुक़र्रर हुआ,
वह पा गयी सजा अपने कुकृत्यों की
अप्सरा सी देह पल भर में बदल गयी
राख के अवांछित ढेर में,
ये तो होना ही था,
और पुरुष
वह आगे बढ़ गया
तब कहीं और,
एक अन्य स्त्री ने सीखा
क्षमादान महादान है...