भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
हुई है सुनहली रात सजन आए हरे हरे / हरियाणवी
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:29, 11 जुलाई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=हरियाणवी |रचनाकार=अज्ञात |संग्रह=शा...' के साथ नया पन्ना बनाया)
हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
हुई है सुनहली रात सजन आए हरे हरे
सजन आये मोरे अंगना
आओ दादी बाबा आओ सब मंगल गाओ
सजन आये मोरे अंगना
आओ अम्मा बाबुल आओ सब मंगल गाओ
सजन आये मोरे अंगना
आओ भैया भाभी आओ अब ना देर लगाओ
सजन आये मोरे अंगना
आओ सखियो आओ सब उत्सव रचाओ
सजन आये मोरे अंगना
पीले हाथ करो लाडो के पीले हाथ करो लाडो के
सजन आये मोरे अंगना
दूधों नाहये पूतों फले सुख सौभाग्य इसे दिन दूना
सजन आये मोरे अंगना