भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

रौवे मतना प्रेम कौर / रणवीर सिंह दहिया

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:56, 14 अगस्त 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रणवीर सिंह दहिया |अनुवादक= |संग्र...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

रौवे मतना प्रेम कौर मैं तावल करकै आ ल्यूंगा।।
थोड़े दिन की बात से प्यारी फौज मैं तनै बुला ल्यूंगा।।
भेज्या करिये खबर बरोणे की, जरूरत नहीं तनै इब रोेणे की
सोचिये मतना जिन्दगी खोणे की, ना मैं भी फांसी खा ल्यूंगा।।
जिले रोहतक मैं खरखोदा सै, बरोणा गाम एक पौधा सै
फौजी ना इतना बोदा सै, घर का बोझ उठा ल्यूंगा।।
बीर मरद की रखैल नहीं सै, बराबरी बिन मेल नहीं सै
हो आच्छी धक्का पेल नहीं सै, मैं बाबू नै समझा ल्यूंगा।।
मेहनत करकै खाणा चाहिये, फिरंगी मार भजाणा चाहिये
रणबीर सुर मैं गाणा चाहिये, ध्यान देश पै ला ल्यूंगा।।