भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मदिरा / कौशल तिवारी

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:30, 31 जुलाई 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatSanskritRachna}} <poem> के...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

केन कथितं
पीता मया मदिरा?
मया न पीता मदिरा
मदिरया पीतोऽहम्
आकण्ठम्,
तथापि
अतृप्ता सा।
मदिरालये
प्रतीक्षायां मे
पश्यति मार्गम्।
चषके स्खलति
तस्याः देहः।
मम मदे
करोति सा
अस्फुटभाषणम्।
सत्यं
मया न पीता मदिरा
मदिरया पीतोऽहम्॥