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हितोपदेश / राजकमल चौधरी

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रातिखन भोजन काल कहलनि सतमाय
बाउ, बहराउ कविताक कोहबरसँ
नौकरी-चाकरीक करू उपाय
अहाँ एकसरे नइँ छी
एकटा कन्याक हाथ छिअइ धएने
नइँ चलत काज
कालिदास बाणभट्ट विद्यापति कएने
विक्रमादित्य, श्रीहर्ष, लखिमा ठकुराइनसभ भए जाथु स्वाहा
जाइ छी, फोलब पान-बीड़ीक दोकान दरभंगा टावर-चौराह