भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
जागो भैया / मनोरंजन एम.ए.
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:23, 21 अगस्त 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मनोरंजन एम.ए. |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKC...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
शोर मचाती है गौरैया,
हुआ सवेरा, जागो भैया!
उठो-उठो अब आँखें खोलो,
प्रातः कृत्य करो मुँह धो लो,
गाती है सब प्रात चिरैया,
हुआ सवेरा, जागो भैया!
सुंदर, स्वच्छ हवा बहती है,
शांत मंद स्वर में कहती है,
हर लूँगी मैं पीर बलैया,
हुआ सेवरा, जागो भैया!
सूरज से पहले जग जाओ,
जीवन का आनंद उठाओ,
नाचो-गाओ ताता-थैया,
हुआ सवेरा, जागो भैया!
उछलो-कूदो, धूम-मचाओ,
पढ़ने में निज चित्त लगाओ,
राजा मेरे कुँवर कन्हैया,
हुआ सवेरा, जागो भैया।