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ढकोसला / असंगघोष

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तूने कहा
गंगा में नहाने से,
नर्मदा के दर्शन मात्र से
सारे पाप धुल जाते हैं
और इसी के सहारे
तू सारे कुकर्म करता रहा,
हर बार आड़ लेकर इनकी
हम पर वार करता रहा।

अब हम पहचान चुके हैं
तेरे कुकर्मों की इन सारी ढालों को
बता
इन नदियों के किनारे,
ये मेंढक क्यों टर्रा रहे हैं
पनेले साँप क्यों तैर रहे हैं इनमें
कछुएँ लम्बी उम्र क्यों जीते हैं
मछलियाँ मोक्ष क्यों नहीं पा जातीं
या
यह सब तेरी
तथाकथित शास्त्रगत
कोरी बातें हैं।

तेरी ही तरह
तेरी बातें भी ढकोसला हैं।