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विद्रोह की बू / असंगघोष

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तुम्हें!
मुझमें बू आती है
जला डाल
तू
जला डाल
मेरे मैले-कुचैले वस्त्र,
खाद्यान्न,
हल-बक्खर,
गृहस्थी का सारा सामान।

आखिर तूने
जला ही डाली मेरी
जीवन भर की कमाई
फिर भी तुझे बू आती है
मेरे शरीर से
मुझे भी जला डाल
फूँक दे
अपनी जलन से।

जला डाल
तू जला डाल
मेरी हर वो चीज
जिसमें तुझे बू आती है
अपने खिलाफ
मेरे विद्रोह की।

अन्ततः तू!
मुझे भी जला डाल
तब भी मुझसे
बू ही आएगी तुझे
मेरे विद्रोह की,
मेरी झोंपड़ी,
खेत,
खलिहान,
सभी जला डाल
हर जगह से
तुझे
अपने खिलाफ मेरे विद्रोह की
फख्त बू ही आएगी।