भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
प्रश्नों को हैं सूलियाँ मूल्यों को वनवास / शिव ओम अम्बर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:35, 13 अप्रैल 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शिव ओम अम्बर |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCa...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
प्रश्नों को हैं सूलियाँ मूल्यों को वनवास,
प्रतिभाओं के भाग्य में है निर्जल उपवास।
बस्ती की हर आँख में है अश्कों की भीड़,
मुस्कानों से शून्य हैं अधरों के आवास।
बिखरे हैं कालिख सने वर्तमान के पृष्ठ,
संग्राहलयों में सजा है स्वर्णिम इतिहास।
शापग्रस्त हैं इन दिनो शाकुन्तल के श्लोक,
निःश्वासें भर शेष हैं कालिदास के पास।