भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
खड़ाम / अमरेन्द्र
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:13, 6 मई 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अमरेन्द्र |अनुवादक= |संग्रह=तुक्त...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
खट-खट, खट-खट, खटर-खटर
बोलथैं रहै छै पटर-पटर
मार करै में सबसें आगू
गोड़े तर सें रहै छै काबू।