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खेतऽ रऽ पूजा / श्रीस्नेही
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पूजा करऽ हो किसान यही खेतबा के।
छौरऽ गोबर-माटी आरो रेतवा के॥
हेकरऽ रंग नै त्यागी देखलाँ
नै देखलाँ हम्में जोगी।
जत्ते चीरै-फाड़ै किसनमा
होत्ते है अनुरागी॥
स्वागत करऽ हो किसान यही मितवा के।
पूजा करऽ हो किसान यही खेतवा के॥
नै कोय हेकरऽ रंग वैरागी
रिषि-मुनि संन्यासी।
चर-चर कचिया काटै कटनिया
तैयो नै आवै उदासी॥
कादऽ छेखौ चंदन तोर्हऽ मथवा के।
पूजा करऽ हो किसान यही खेतवा के॥
भरलऽ गोदी सुनऽ करिके
दुनिया के राखै मान।
हमरऽ तोर्हऽ पेटऽ के खातिर
बेटा केॅ दै बलदान॥
खेते ईश्वर छेखौं तोर्हऽ मनमा के।
पूजा करऽ हो किसान यही खेतवा के॥