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सावरकर / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय

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वीर विनायक सावरकर
जना पताका फर, फर, फर
राष्ट्रद्रोही लेॅ काले रं
अंगरेजोॅ लेॅ भाले रं।

लड़तै रहलै देशोॅ लेॅ
चिन्ता नै कुछ केसोॅ लेॅ
मोॅर मुकदमा मूली रं
जिनगी छेलै सूली रं।

लन्दन, पेरिस घोॅर-बिछौना
हेलवोॅ सागर: खेल-खिलौना
काला पानी सें नै डर
वीर विनायक सावरकर।