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कानै जंगल / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय
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कहूँ दिखै नै मंगल-मंगल
कटलोॅ जाय छै जंगल-जंगल।
नदिया-जंगल परती हेन्होॅ
काँटोॅ केरोॅ धरती जेन्होॅ।
नै सुवास, नै औक्सीजन छै
सबके व्याकुल ही जीवन छै।
चिड़िया मरलै गाछी के बिन
कार्बन के उत्सर्जन नागिन।
जंगल कटै कि भाग्य कटै छै
धरती पर सें स्वर्ग हटै छै।
की आवै वाला ही लय छै
जंगल कटवोॅ घोर प्रलय छै।