भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

ग्राउंड ज़ीरो / नोमान शौक़

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 06:17, 3 जुलाई 2016 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

वहाँ भी होता है
एक रेगिस्तान
जहाँ किसी को दिखाई नहीं देती
उड़ती हुई रेत
वहाँ भी होता है
एक दर्द
जहाँ तलाश नहीं किये जा सकते
चोट के निशान
वहाँ भी होती है
एक रात
जहाँ जुर्म होता है
चांद की तरफ़ देखना भी
वहाँ भी होती है
एक रौशनी
जहाँ पाबंदी होती है
पतंगों के आत्मदाह पर
वहाँ भी होती है
एक दहशत
जहाँ अदब के साथ
क़ातिलों से इजाज़त मांगनी होती है
चीख़ने से पहले
वहाँ भी होता है
एक शोक
जहाँ मोमबत्तियाँ तक नहीं होतीं
मरने वालों की याद में जलने
या जलाने के लिए
वहाँ भी होता है
एक शून्य
जहाँ नहीं पहुँच पाते
टी० वी० के कैमरे।