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गुब्बारा लो / श्रीनाथ सिंह
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कहाँ, कहाँ से ऐ अलबेले!
तू लाया यह गुब्बारा।
बता बता रे ऐ अलबेले!
क्यों लाया यह गुब्बारा?
उड़ा बादलों में जाता है,
तितली की गति दिखलाता है।
परियों की सुन्दर रानी का,
क्या तू मन हरने जाता है?
झाकं चंद्रमा की खिड़की से,
किसने तुझको चुमकारा?
बता बता रे बाल सलोने!
उड़ा रहा क्यों गुब्बारा?
ओहो! क्या तुम नहीं जानते,
सपनो का कल मेला है।
परियों के प्यारे बच्चों का,
चौ तरफा से रेला है।
परीदेश से इसीलिये यह,
आया है बेचनहारा।
बातचीत का समय नहीं है,
गुब्बारा लो, गुब्बारा।