भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मेरे पन्ने / विनीता परमार
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:38, 7 सितम्बर 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विनीता परमार |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
कल मैं सिर्फ हँसना जानता था
धीरे धीरे कुछ बनने लगा,
इस बनने में पन्ने बदलते गये,
कल कुछ और सोचता था
आज समझ बदल गई
समय चलता गया
हमें बदलता गया
जिन्दगी के पिछले पन्ने धुन्धले होते गये
फिर भी हम उन्हें नही भूले,
आगे के पन्ने वक्त देते नही
हमें पिछले पन्नों से सुकून मिलता है,
आज के पन्नों में
मन हल्का हल्का होता ही नही