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वजूद / मोहन गेहाणी

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मूं सुबूह जो
सिज खे ॻतिरा ॻतिरा करे
उछिलाए छॾियो
मूं पाण खे महफ़ूज़ भांयो
सोचियुमि, वक़्तु कटिजी वियो
बिए ॾींहुं वरी सबूह जो
सिज मुश्कियो-
इन्हनि ॻतिरनि में तुंहिंजो वजूदु ई त हो!