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नओं जनम / अर्जुन ‘शाद’
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हर घड़ीअ मां नओं जनम वठां थो
छो जो
माज़ी मुहिंजे ज़हन ते
को बि निशान नथो छॾे
मौत खे
बे निशान मुस्तकबिल जो तसव्वुर आहे
इन करे
उहो बि मुंहिंजे लाइ
का माना नथो रखे।