भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

शेर गर्जना / हूँदराज दुखायल

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:59, 13 अक्टूबर 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हूँदराज दुखायल |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मुल्क ते हिन्दमाता जो झंडो क़ौमी झूलाईंदुसि,
वधायलु ज़ोर पापियुनि जो सकूरो मां घटाईंदुसि।

जॾहिं खाली हचारनि खां सॼी भूमि कराईंदुसि,
सुपात्र वीर माता जो तॾहिं बेशक चवाईंदुसि।

‘‘दुखायल’’ फर्जु माता जो तॾहिं सारो अदा थींदो,
जॾहिं आज़ादगीअ लइ जान बस हरिको ॿचो ॾींदो।