भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
आया बादल / मीरा हिंगोराणी
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:30, 1 फ़रवरी 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मीरा हिंगोराणी |अनुवादक= |संग्रह=...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
केॾा सुहिणा बादल आया,
तेजु हवा सां कुॾंदा आया।
तरसो कुझु देर त भाई,
धरतीअ खे सींगारियो साईं,
सुका वण संवारियो साईं।
घर हारियुनि जा अन्न सांभरियां...
तेज़ हवा सां...
महर मया जा मीहं वसिया,
खिली सिविण खीकार कया,
मनिड़ा ॿारनि जा महकिया,
बिजलीअ जा चिमकाट थिया।
तेजु हवा सां कुॾंदा आया।
केडा-सुहिणां बादल आया...