भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आलू राम / मीरा हिंगोराणी

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:25, 1 फ़रवरी 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मीरा हिंगोराणी |अनुवादक= |संग्रह=...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बॾा खाईन-नंढ़ा खाईनि,
जुवान खाईन-ॿुढ़ा खाईनि,
खाईनिं चाह मां ॿच्चाएं ॿार....
नालो मुहिंजो आलूराम...

चिपिस चाप ऐं ठहनि टिकियूं,
चाट-चटपटी चौपटीअ ते,
खाई ॿारनि कई धमाल...
नालो मुहिंजो...

खाधी टिक्की टोपणमल,
चवे पत्तो भलऊं भल,
लेटी गाह ते करे थो आरामु...
नालो मुहिंजो....

सभ खां सस्तो मुहिंजोदाम
नालो मुहिंजो आलूराम!