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दॻु / मुकेश तिलोकाणी

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अंधो सभिनी खे
राह ॾसींदो
अॻियां वधण लाइ चवंदो।
हलंदे
पंहिंजो पेरु
खनहंदो
पोइ...
धण खां
जुदा थी, बिही रहंदो
धणु, दॻु लगं/दो
हा...
अलाए...