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हिकु भेरो / मुकेश तिलोकाणी
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अचनि था
वञनि था
के, ॾियो वञनि
कि खसियो वञनि!
”माज़ी“
ॾियारे थी
”हालु“
अहिसासु कराए थो।
फिरे पियो
बदिजले पियो
भरिजे पियो!
हाणि मटाए सटाए
घणा ॾींहं थिया
भुले भटिके
भला, ॾे खणी।