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ॼाण आ / लक्ष्मण पुरूस्वानी

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हुन खे मेहनत करण जी ॼाण आ
ऐं मिट्टीअ मां सोन ठाहिण जी ॼाण आ

हवा जी हूं रफतार रोके सघे थो
बाहि पाणीअ में ॿारण जी ॼाण आ

मुहाणों भले थिये सन्यासी मगर
मछीअ जियां त तड़फण जी ॼाण आ

आकाश जी चादर, गरीब खे-ऐं
धरतीअ खे बिस्तिरो बणाइण जी ॼाण आ

इश्क जी दीवानीअ चयो आशिकनि खे
दिल चोराइण जी ॼाण आ

चिठियूं लिखे नथो छो परदेस मां, खेसि
राति दींहु ख्वाबनि में अचण जी ॼाण आ