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338 / हीर / वारिस शाह

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जेठ मींह ते सयाल विच वाओ मंदी कतक माह विच मनेह हनेरियां नी
रोना वयाह विच गौना विच सयापे सतर मजलसां करन मंदरियां नी
चुगली खांवदा दी बदी नाल मुलां खान लून हराम बदखैरियां नी
हुकम हथ कमजात दे सौंप देना नाल दोसतां करनियां वरियां नी
गीवत तरक सलबात<ref>गाली</ref> ते झूठ मसती दूर करन फरिशतयां तेरियरां<ref>उडारिआं</ref> नी
मुड़न कौल जबान थीं फिरन पीरां बुरे दिनां दियां एहभी फेरियां नी
लड़न नाल फकीर सरदार यारी गडा घतना माल दसेरियां नी
मेरे नाल जो खेड़यां विच होई खचर वादियां एह सब तेरियां नी
बले नाल भलयाइयां बदी नाल बुरियां याद रख नसीहतां मेरियां नी
बिना हुकम दे मरन न ओह बंदे साबत जिन्हां दियां रिजक ढेरियां नी
बदरंग नूं रंग के रंग लायो वाह वाह एह कुदरतां तेरियां नी
हुणे घतके जादूड़ा करूं कमली पई गिरद मेरे घते फेरियां नी
वारस शाह असां नाल जादूआं दे कई रानियां कीतियां चेरियां नी

शब्दार्थ
<references/>