भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

शब्द / कुमार कृष्ण

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:47, 22 अप्रैल 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कुमार कृष्ण |अनुवादक= |संग्रह=पहा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

वे शब्द जो मुझे मेरे दादा से मिले
उनमें से कुछ सुरक्षित हैं आज भी मेरे पास
वे शब्द जो मुझे मेरी माँ से मिले
मैं भूल चुका हूँ सारे के-सारे
वे शब्द जो सीखे मैंने पाठशाला में
सब के-सब बो दिए रोटी के लिए
वे शब्द जिन्होंने आज गिरफ्तार कर लिया है मुझे-
वे शब्द न मेरी माँ के हैं
न मेरी पाठशाला के
मैं डरता हूँ जिन से बार-बार
मेरा बच्चा खेल रहा है उन से
लगातार।