भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
वे-1 / रंजना जायसवाल
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:32, 5 मई 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रंजना जायसवाल |संग्रह=मछलियाँ दे...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
वे सिर्फ खाते हैं
बिना इस बात की
चिंता किए
की रोटियाँ
किसके हिस्से की हैं
कहाँ से आ रही हैं
और हरी सब्जियाँ
उगाने वाले
क्यों सूख रहे हैं।