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विभक्त साया / दिनेश जुगरान

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मैं यह तय नहीं कर पा रहा कि हूँ पक्ष
या विरोध में अगर हूँ पक्ष में तो किसका
साथ दूँ और है विरोध तो किसके विपक्ष में

रहूँ धूल कणों के संग या साथ दूँ उस आँधी
का जिसकी प्रतीक्षा है सभी को

नोकीले पत्थरों को भर लूँ जेब में या खड़ा
हो जाऊँ कच्ची दीवार के सहारे ओस की
बूँदें भर लूँ अपनी मुट्ठियों में या आस्तीन
के साँपों की गिनती शुरू कर दूँ

हड्डियों से कहूँ सांस लेती रहे या करूँ
प्रारंभ मृत्यु से नया संवाद चलूँ फिर से
घुटनुओं के बल या बैठूँ किसी कुर्सी पर
विभक्त साये सा