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बबुआ / नाराइन सिंह ‘सुभाग’
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बबुआ
तू कलकत्ते से
तकदीर कटा के
आज हियाँ
उजाला ही उजाला कर देले।
ना धाम देखले
ना बरखा
मस्किटा माकू तोर देह घट्ठई देइस
पसीना गिरावत गिरावत
आपन जिन्दगी गँवा देले
लाउ अबतोर पगड़िया
आपन सीने से लगाइके
हम आपन मुंडी पर धर लेंई
और छाती ठोंक के
दुनिया से बोली
ई हमार बबुआ के है
एके हम सीरीज सम्हार के रखब
इ हमार पहचान है।