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वरदान / नवीन ठाकुर 'संधि'
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जे होय छै महान,
उनका जानै छै जहान।
केकरोॅ प्रतिभा केॅ कोय नै रोकै छै,
केकरोॅ आगू ऊ नै झूकै छै।
गम सें भलेॅ समय पर छुपै छै,
कहियोॅ नै होय छै अपमान।
जे होय छै महान,
कृति जिनकोॅ झलकै छै,
पाबै लेॅ उनका जग लपकै छै।
जेनां पंकज पर पानी ढलकै छै,
तेनां ही दुश्ट हरकै छै।
संधि केॅ आशा छै भगवान,
जे होय छै महान।