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फुटानी / नवीन ठाकुर ‘संधि’
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राड़ोॅ रोॅ धांेन जोरी रोॅ पानी,
नै राखेॅ पारै छै बान्ही।
हाथोॅ में धोन तेॅ देखोॅ लाभ-काप,
घटल्होॅ पैसा करेॅ लाग्ल्होॅ बाप रे बाप।
जेनॉ उल्लू होय छै अन्हरोॅ,
दैकेॅ धोंन बनैलकोॅ हुरोॅ गेनरोॅ।
धन आबै जाय में नै बनल्होॅ ज्ञानी,
तकदीर-तकदीर सब्भे बकै छै,
मतुर ओकरोॅ हिसाब कोय नै राखै छै।
जोगलै पर नै सबाद चाखै छै,
उल्लू उड़ी गेलोॅ धन लैकेॅ बादोॅ में ताकै छै।
देखोॅ "संधि" जुगोॅ रोॅ येॅहेॅ फुटानी।