भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आकाश / अविनाश श्रेष्ठ

Kavita Kosh से
Sirjanbindu (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:18, 8 अक्टूबर 2017 का अवतरण

यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


जब पनि यन्त्रणाहरुमाझ घेरिएर
भएको छु हताश–हताश;
एउटी कुशल प्रेयशी झैँ
सान्त्वना दिन
आएकी छे आँखाभरि आकाश ।