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बेटी / अमरनाथ मेहरोत्रा
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बेटी के सब पेयार कर∙
ओकरा से खुसी के इजहार कर∙।
बेटी के घर में अएला से
आँगन गुलजार हो जाइअ
बेटी के जनम लेला से
घर में हँसी-खुसी के फूल खिल जाइअ।
बेटी घर में एगो पेयार के सौगात हए
बेटी घर के मलय पवन हए
बेटी घर में सावन के फुहार हए
बेटी त∙ गुलाब के पुष्पहार हए।
जेकरा घर में बेटी न हए
ऊ घर अनाथ आ असहाय हए
बेटी नइहर में थोरके दिन रहइअ
बाकी ओकरा के स्वर्ग बना देइअ।
बेटी त∙ प्रभु के एगो उपहार हए
माई-बाबू लेल रतन के हार हए
बेटी से घर जगमग करइअ
ऊ त∙ रंगोली के सिंगार हए।
एही लेल बेटी के कबहूँ न दुरदुराब∙
ओकरा के दिवाली की दीआ लेखा सजाव∙।